ध्यान: आंतरिक शांति और आत्म-जागरण की ओर यात्रा
ध्यान: आंतरिक शांति और आत्म-जागरण की ओर यात्रा
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मनुष्य बाहर की सुविधाएँ तो जुटा लेता है, लेकिन भीतर की शांति खो बैठता है। यही कारण है कि लोग तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में ध्यान (Meditation) एक ऐसा सरल उपाय है, जो हमें भीतर से संतुलित, शांत और ऊर्जावान बनाता है।
ध्यान क्या है?
ध्यान का अर्थ है—मन को एकाग्र करके उसे स्थिर करना। यह केवल आँखें बंद करके बैठ जाना नहीं है, बल्कि अपने विचारों के शोर को शांत कर आत्मा की गहराई से जुड़ना है। जब हम ध्यान में बैठते हैं, तो धीरे-धीरे मन की अनावश्यक हलचल कम होने लगती है और आंतरिक शांति का अनुभव होता है।
ध्यान के लाभ
- मानसिक शांति – तनाव और चिंता को दूर करता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य – रक्तचाप नियंत्रित होता है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- एकाग्रता में वृद्धि – पढ़ाई, काम और रचनात्मकता में मदद करता है।
- भावनात्मक संतुलन – क्रोध और नकारात्मक भावनाओं पर नियंत्रण आता है।
- आध्यात्मिक विकास – आत्म-जागरूकता और आत्मा से गहरा जुड़ाव होता है।
ध्यान करने की सरल विधि
- शांत स्थान पर बैठें।
- रीढ़ सीधी रखें और आँखें बंद करें।
- धीरे-धीरे सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।
- मन भटकने लगे तो बिना झुंझलाहट के फिर से सांस पर ध्यान लाएँ।
- प्रतिदिन कम से कम 10–15 मिनट अभ्यास करें।
ध्यान के प्रकार
- माइंडफुलनेस ध्यान – वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करना।
- मंत्र ध्यान – किसी पवित्र शब्द या ध्वनि का जप।
- विपश्यना ध्यान – अपने विचारों और संवेदनाओं को साक्षी भाव से देखना।
- प्रेम-मैत्री ध्यान – दूसरों के लिए शुभकामना और करुणा का भाव जगाना।
ध्यान केवल साधना ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। यह हमें सिखाता है कि असली सुख बाहरी वस्तुओं में नहीं, बल्कि हमारे भीतर है। प्रतिदिन कुछ समय ध्यान को समर्पित करके हम अपने जीवन को अधिक शांत, संतुलित और सार्थक बना सकते हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें